Karpuri Thakur:कौन है कर्पूरी ठाकुर जिन्हे दिया जा रहा है ‘भारत रत्न’ जानिए उनके जीवन के बारे में।

livekhabar247.com
5 Min Read

कल यानि की मंगलवार को प्रधानमत्री मोदी जी की सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को ‘भारत रत्न’ देने का निर्णय लिया है। कर्पूरी ठाकुर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके है। उनकी जन्म जयंती से पहले मिलेगा भारत रत्न आप को बता दे की कर्पूरी ठाकुर को ये भारत का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न‘ मरणोपरांत दिया जा रहा है। पिछडो के बड़े नेता मने जाते थे कर्पूरी ठाकुर इनका जन्म बिहार के समस्तीपुर में हुआ था।

karpuri thakur bharat ratna

कर्पूरी ठाकुर कौन है: कर्पूरी ठाकुर का जन्म बिहार के समस्तीपुर में हुआ था। कर्पूरी ठाकुर जी बिहार के उपमुख्यमंत्री रहे, और दो बार बिहार के मुख्यमंत्री भी रहे। वे कभी भी विधानसभा चुनाव नहीं हारे थे। वे स्वतंत्रता सेनानी थे और शिक्षक भी रह चुके है। उन्हें उनकी लिकप्रियता के कारन जननायक कहा जाता था। इसके अलावा उनके पिताजी का नाम गोपाल ठाकुर और उनकी माता जी का नाम श्रीमती रामदुलारी देवी था। उनके पिता एक सीमांत किसान थे। भारत छोड़ो आंदोलन के समय उन्होंने 26 महीने जेल में बिताये। वे 22 दिसंबर 1970 से 2 जून 1971 तक और 24 जून 1977 से 21 अप्रैल 1969 तक के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री रहे। 24 जनवरी को उनकी जन्म जयंती भी आती है। इसी के अवसर पर उन्हें ‘भारत रत्न’ देने का सरकार ने फैसला किया है।

1970 के दशक में बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल अभूतपूर्व था,खासकर समाज के वंचित वर्गों एवं पिछड़े वर्गो के लिए बहुत काम किया। वे अपने छात्र जीवन में राजनितिक विचारो से बहुत ही ज्यादा प्रभावित हुए।और फिर बाद में ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन में शामिल हो गए। उन्होंने अपनी विचारधारा को लोहिया विचारधारा के रूप में अपनाया जिससे पिछडो जिसने पिछड़ी और निचली जातियों को ससक्त बनाने का काम किया।

लोहिया और जेपी थे उनके राजनितिक गुरु: जननायक के नाम से पुकारे जाने वाले कर्पूरी ठाकुर जी ने स्वतंत्रता संग्राम  आजादी की लड़ाई में भी भाग लिया। ववे स्वतंत्रता सेनानी थे और शिक्षक और राजनेता भी रहे और इन्होने सभी रूप में अपनी भूमिका को अच्छे से निभाया। वे भले ही पिछड़े वर्ग से आते थे लेकिन उनका मकसद पिछड़ी जाती एवं निचली जातियों और गरीबो के कल्याण का रहा था। लोकनायक जयप्रकाश नारायण और राम मनोहर लोहिया उनके राजनैतिक गुरु रहे थे। वे सन 1970 के दसक में दो बार मुख्यंमंत्री रहे।

karpuri thakur bharat ratna

बिहार में पहली बार शराब बंदी लागू करने वाले मुख्यमंत्री: जननायक कर्पूरी ठाकुर बिहार राज्य में पहली बार शराब पर प्रतिबन्ध लगाया था। वे बिहार के पहले मुख्यमंत्री है जिन्होंने सबसे पहले शराब बंदी लागू की थी। इससे उनको साफ ऑफ़ अच्छी सोच का भी पता चलता है। उन्होंने 1977 में शराब बंदी पूर्ण रूप से लागू की थी। वे बहुत बड़े समाज सुधारक क्र रूप में विख्यात हुए।

अंग्रेजी को अनिवार्य विषय के रूप में हटाया : जननायक कर्पूरी ठाकुर जी ने मेट्रिक स्थर पर अंग्रेजी विषय की अनिवार्यता को ख़तम करने के बाद चर्चे में आये थे। जिस समय उन्होंने ये निर्णय लिया था उस समय वे बिहार के शिक्षा मंत्री थे। इसके पीछे उनकी सोच ये थी की पिछड़े रूप से जो लोग शिक्षा में पीछे थे उन लोगो को आगे बढ़ाया जा सके। ताकि वे अच्छे से शिक्षा ग्रहण कर सके।उस दरम्यान सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग जोर-शोर से उठ रही थी। मंडल आंदोलन से भी पहले मुख्यमंत्री रहते हुए कर्पूरी ने पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया था। जिससे की पिछड़े वर्ग के लोग आगे बढ़ सके और देश के लिए अपना योगदान दे।

कांग्रेस से अलग रहकर मुख़्यमंत्री बने: 1960 के दशक में कांग्रेस के खिलाफ देश में समाजवादी आंदोलन तेज हो रहा था। और 1967 के आम चुनाव में डॉ. राममनोहर लोहिया के नेतृत्व में गैर कांग्रेसवाद का नारा दिया था। और कांग्रेस पराजित हुई और बिहार में पहली बार गैर कांग्रेस सरकार बनी। सरकार में पिछडो और आम लोगो की भागीदारी और जिम्मेदारियां बढ़ी। 1977 में जनता पार्टी के विजय के बाद कर्पूरी ठाकुर बिहार के मुख्यमंत्री बने।

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *