Monetary Policy: क्या है मोनेटरी पॉलिसी,ब्याज की दरों में कोई बदलाव नहीं,बैंक लोन EMI और FD रिटर्न पर क्या होगा असर जानिए।

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image- RBI Monetary Policy

What is Monetary Policy :-

Monetary Policy एक मौद्रिक नीति व एक राष्ट्रीय नीति है,जो एक देश की मौद्रिक योजनाओं और नियंत्रणों को निर्धारित करती है। इसका मुख्य उद्देश्य यह है मौद्रिक स्थिरता,आर्थिक विकास,और अर्थव्यवस्था के लिए अनुकूल मौद्रिक परिस्थितियों को बनाए रखना होता है।मौद्रिक नीति के माध्यम से संबंधित निकाय जैसे कि Reserve Bank of India के द्वारा मुद्रा और ब्याज दरों को निर्धारित किया जाता है। यह नीति विभिन्न उपकरणों का उपयोग करके आर्थिक प्रभाव को नियंत्रित करती है, जैसे कि रिपो रेट, नकद आर्थिक स्थिति, और मुद्रा की वैश्विक स्तिथि का उपयोग करि है।इसके लिए विभिन्न उपाय होते हैं जैसे कि नकद भंडारण, रिपो दरें, और मुद्रा उत्पत्ति। मौद्रिक नीति का उद्देश्य है ,की उत्पादन, रोजगार, और मौद्रिक स्थिरता में सुधार करना।

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RBI Monetary Policy:-

RBI Policy: रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) ने नीतिगत दरों रेपो रेट में कोई भी बदलाव नहीं किया है। RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति कमेटी की बैठक के बाद पॉलिसी रेट को लेकर यह एक बड़ा ऐलान किया है। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है किरेपो रेट में कोई भी कटौती नहीं की गई है।इसलिए नीतिगत ब्याज दरें 6.50 फीसदी पर ही बरकरार रहेंगी।

इससे पहले कई अनुभवी और विशेषज्ञो ने यह अनुमान बतायाथा,कि सेंट्रल बैंक मॉनेटरी पॉलिसी में पॉलिसी रेट में शायद ही कोई बदलाव करे, क्योंकि खुदरा महंगाई अब भी संतोषजनक दायरे के ऊपरी स्तर के करीब है। रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने करीब एक साल से रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर स्थिर ही रखा है। इसे आखिरी बार फरवरी 2023 में 6.25 फीसदी से बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया गया था। खुदरा महंगाई दर जुलाई 2023 में 7.44 फीसदी के उच्चतम स्तर पर थी और उसके बाद इसमें काफी गिरावट आई है। रिटेल इंफ्लेशन रेट दिसंबर, 2023 में 5.69 फीसदी था। भारत सरकार ने रिजर्व बैंक को महंगाई को 2 फीसदी घटने और बढ़ाने के साथ 4 फीसदी के दायरे में रखने की जिम्मेदारी सौंपी है।

Objectives Of Monetary Policy :-

Monetary पालिसी यानि मौद्रिक नीति के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित रूप से संघे जा सकते है :-

  1. मौद्रिक स्थिरता: एक स्थिर और नियमित मुद्रा स्तर की सुनिश्चित करना,जिससे की देश की अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनी रहे।
  2. आर्थिक विकास: आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए उचित मौद्रिक नीति अपनाना, जिससे उत्पादन, निवेश, और रोजगार में वृद्धि हो।

3.मुद्रा के उपयोग का नियंत्रण: मुद्रा के उपयोग को नियंत्रित करके अत्यधिक मुद्रा के प्रभावों से बचाव करना और अर्थव्यवस्था को स्थिर रखना होता है।

4.सामाजिक सुधार: मौद्रिक नीति के माध्यम से सामाजिक और आर्थिक सुधारों को प्रोत्साहित करना, जैसे कि गरीबी का निर्मूलन और समाज के सभी वर्गों को लाभ                                            पहुंचाना होता है।

5.ब्याज दर का नियंत्रण: मौद्रिक नीति के माध्यम से ब्याज दरों को नियंत्रित करना, जिससे ऋण प्राप्ति की प्रवृत्ति को नियंत्रित किया जा सके और आर्थिक स्थिति में                                                    सुधार हो।

6.उत्पादन के प्रोत्साहन: मौद्रिक नीति के माध्यम से उत्पादन को बढ़ावा देना और उत्पादकों को प्रोत्साहित करना, जिससे अर्थव्यवस्था में वृद्धि हो।

7.वित्तीय स्थिरता: मौद्रिक नीति के माध्यम से वित्तीय स्थिरता को सुनिश्चित करना, जिससे वित्तीय बाजारों की स्थिरता बनी रहे और वित्तीय संस्थाओं की सुरक्षा हो।

ये उद्देश्य एक स्थिर, समृद्ध, और सामृद्ध अर्थव्यवस्था की दिशा में काम करते हैं और मौद्रिक नीति को समझाने और लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।इन     उद्देश्यों का लाभ लेकर सरकार और मुद्रा नियंत्रण निकाय अपनी नीतियों को निर्माण करते हैं। और इसे फिर लागु करते है।

 

 

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